Lyrics Muddat Ki Tamannaon Ka Sila - Mahendra Kapoor
मुद्दत
की
तमन्नाओ
का
सिला
जज्बात
को
अब
मिल
जाने
दो
-२
जिस
तरह
मिली
हैं
दो
रूंहे
उस
तरह
से
लब
मिल
जाने
दो
मुद्दत
की
—
सीने
से
हटा
दो
आँचल
को,
शाने
से
झटक
दो
जुल्फों
को
-२
शाने
से
झटक
दो
जुल्फों
को
जाती
हुई
रंगीन
घड़ियों
को
रुकने
का
सबब
मिल
जाने
दो
मुद्दत
की
—
इन
पाक
गुनाहों
की
घड़ियाँ,
आती
हैं
मगर
हर
रात
नहीं
-२
आती
हैं
मगर
हर
रात
नहीं
इस
रात
में
सब
खो
जाने
दो,
इस
रात
में
सब
मिल
जाने
दो
मुद्दत
की
—

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