Paroles et traduction Ankur Tewari - Bekhabar
ऐ
खुदा,
मुझको
तू
इतना
तो
बता
О
Боже,
скажи
мне
хоть
это,
क्या
है
मेरी
ग़लती?
जाने
क्या
है
मेरी
ख़ता
В
чем
моя
вина?
В
чем
моя
ошибка?
दिन
की
भी
ना
मुझको
ख़बर,
रात
का
ना
पता
Я
не
замечаю
ни
дня,
ни
ночи,
क्या
है
तेरी
मर्ज़ी
जानूँ
ना,
क्या
है
तेरी
रज़ा?
В
чем
твоя
воля,
не
знаю,
каково
твое
желание?
Hmm,
जब
से
जाना
है
उसको
कुछ
खोया
सा
Хмм,
с
тех
пор
как
ты
ушла,
я
чувствую
себя
потерянным,
आगे-आगे
ज़माना
भागे,
पीछे
मैं
यहाँ
Мир
бежит
вперед,
а
я
остался
здесь,
पहचाना
जो
उसको
मैं
गुमशुदा
Я
узнал
в
тебе
ту,
которую
потерял,
अनजाने
में
जाने
कैसे
अनदेखे
हैं
रास्ते
Как
будто
по
незнанию,
я
шел
невидимыми
путями,
डगर
पे,
ज़ुबाँ
पे
बेख़बर
सा
हुआ
На
дороге,
в
словах,
я
стал
таким
безмятежным.
दोस्तों
की
महफ़िल
में
जिससे
भी
मैं
मिला
В
компании
друзей,
с
кем
бы
я
ни
встречался,
बदला-बदला
सा
लगता
हूँ
सब
ने
यहीं
कहाँ
Все
говорят,
что
я
выгляжу
другим,
बैठे-बैठे
बदलता
है
कोई,
ऐसा
होता
है
क्या?
Разве
можно
измениться
просто
так,
сидя
на
месте?
जब
भी
मैंने
कुछ
ऐसा
कहा
किसी
ने
ना
सुना
Всякий
раз,
когда
я
пытался
что-то
сказать,
меня
никто
не
слушал.
Hmm,
जब
से
जाना
है
उसको
कुछ
खोया
सा
Хмм,
с
тех
пор
как
ты
ушла,
я
чувствую
себя
потерянным,
आगे-आगे
ज़माना
भागे,
पीछे
मैं
यहाँ
Мир
бежит
вперед,
а
я
остался
здесь,
पहचाना
जो
उसको
मैं
गुमशुदा
Я
узнал
в
тебе
ту,
которую
потерял,
अनजाने
में
जाने
कैसे
अनदेखे
हैं
रास्ते
Как
будто
по
незнанию,
я
шел
невидимыми
путями,
डगर
पे,
ज़ुबाँ
पे
बेख़बर
सा
हुआ
На
дороге,
в
словах,
я
стал
таким
безмятежным.
ऐ
खुदा,
मुझको
तू
इतना
तो
बता
(इतना
तो
बता)
О
Боже,
скажи
мне
хоть
это
(хоть
это),
क्या
है
मेरी
ग़लती?
जाने
क्या
है
मेरी
ख़ता
(क्या
है
मेरी
ख़ता)
В
чем
моя
вина?
В
чем
моя
ошибка?
(В
чем
моя
ошибка?)
दिन
की
भी
ना
मुझको
ख़बर,
रात
का
ना
पता
(रात
का
ना
पता)
Я
не
замечаю
ни
дня,
ни
ночи
(ни
ночи),
क्या
है
तेरी
मर्ज़ी
जानूँ
ना,
क्या
है
तेरी
रज़ा
В
чем
твоя
воля,
не
знаю,
каково
твое
желание?
Hmm,
जब
से
जाना
है
उसको
कुछ
खोया
सा
Хмм,
с
тех
пор
как
ты
ушла,
я
чувствую
себя
потерянным,
आगे-आगे
ज़माना
भागे,
पीछे
मैं
यहाँ
Мир
бежит
вперед,
а
я
остался
здесь,
पहचाना
जो
उसको
मैं
गुमशुदा
Я
узнал
в
тебе
ту,
которую
потерял,
अनजाने
में
जाने
कैसे
अनदेखे
हैं
रास्ते
Как
будто
по
незнанию,
я
шел
невидимыми
путями,
डगर
पे,
ज़ुबाँ
पे
बेख़बर
सा
हुआ
На
дороге,
в
словах,
я
стал
таким
безмятежным.
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Writer(s): Ankur Tewari
Album
Jannat
date de sortie
12-02-2013
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