Текст песни Shaayad (Live) - Jagjit Singh
फिर
उसी
रहगुज़ार
पर
शायद
हम
कभी
मिल
सकें
मगर
शायद
जिन
के
हम
मुंतज़िर
रहे
उन
को
मिल
गए
और
हम-सफ़र
शायद
जान-पहचान
से
भी
क्या
होगा
फिर
भी
ऐ
दोस्त
ग़ौर
कर
शायद
अज्नबिय्यत
की
धुँद
छट
जाए
चमक
उठ्ठे
तिरी
नज़र
शायद
ज़िंदगी
भर
लहू
रुलाएगी
याद-ए-यारान-ए-बे-ख़बर
शायद
जो
भी
बिछड़े
वो
कब
मिले
हैं
'फ़राज़'
फिर
भी
तू
इंतिज़ार
कर
शायद
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