Shankar Mahadevan - Vijayi Bhava Lyrics

Lyrics Vijayi Bhava - Shankar Mahadevan



तिनका-तिनका था हमने सँवारा
अपनी वो माटी और घर बारा
लुट्ट रहा ये चमन
अपना वतन आँखो से अपनी
लुट्ट रहा ये चमन
अपना वतन आँखो से अपनी
संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े
हर द्वार खोल के
गगन कहे विजय भव:
विजय भव:
गगन कहे विजय भव:
अब लपट-लपट का तार बने
और अग्नि सितार बने
अब चले आँधियाँ सनन-सनन
गूँजे जयकार बने
हर नैन-नैन में ज्वाला हो
हर हृदय-हृदय में भाला हो
हर कदम-कदम में सेना की सच्ची ललकार बने
अब भटक-भटक अंगारों को उड़ता चिंगार बने
है रात की सुरंग
भटकी है रौशनी
है छटपटा रही रौशनी
गगन कहे विजय भव:
सौंधी-सौंधी मिट्टी बारूदी हो गई बावरे
आ, भोली सी तेरी बाँसुरी खो गई सांवरे
घायल है तेरा जल
तू नदी है राह बदल
पानी बुलबुला रहा है कल-कल-कल
तू निकल, तू निकल
माटी ने तेरी आज पुकारा
धरती ये पूछे बारंबारा
लुट्ट रहा ये चमन
तेरा वतन आँखो से अपनी
लुट्ट रहा ये चमन
तेरा वतन आँखो से अपनी
संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े
हर द्वार खोल के
गगन कहे विजय भव:
गगन कहे विजय भव:
हो, विजयी भव:



Writer(s): Shankar Ehsaan Loy, Chaitanya Prasad


Shankar Mahadevan - Manikarnika - The Queen of Jhansi
Album Manikarnika - The Queen of Jhansi
date of release
25-01-2019




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