Anuradha Paudwal Kavita Paudwal - Aarti Kunj Bihari Ki текст песни

Текст песни Aarti Kunj Bihari Ki - Anuradha Paudwal , Kavita Paudwal



आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
गले में बैजंती माला
बजावे मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला
नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली
रतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
कनकमय मोर मुकुट बिलसे
देवता दरसन को तरसे
गगन सों सुमन रासि बरसे
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
जहां से प्रगट भई गंगा
कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरे अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
चमकती उज्ज्वल तट रेनू
बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि काल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंजबिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)



Авторы: TRADITIONAL, SHAILESH THAKER


Anuradha Paudwal Kavita Paudwal - Aarti
Альбом Aarti
дата релиза
19-01-2015




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