Songtexte Yamunashtak, Pt. 1 - Lata Mangeshkar
नमामि
यमुनामहं
सकल
सिद्धि
हेतुं
मुदा
मुरारि
पद
पंकज
स्फ़ुरदमन्द
रेणुत्कटाम्
तटस्थ
नव
कानन
प्रकटमोद
पुष्पाम्बुना
सुरासुरसुपूजित
स्मरपितुः
श्रियं
बिभ्रतीम्
कलिन्द
गिरि
मस्तके
पतदमन्दपूरोज्ज्वला
विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता
सघोषगति
दन्तुरा
समधिरूढदोलोत्तमा
मुकुन्दरतिवर्द्धिनी
जयति
पद्मबन्धोः
सुता
भुवं
भुवनपावनीमधिगतामनेकस्वनैः
प्रियाभिरिव
सेवितां
शुकमयूरहंसादिभिः
तरंगभुजकंकण
प्रकटमुक्तिकावाकुका
नितन्बतटसुन्दरीं
नमत
कृष्ण्तुर्यप्रियाम्
अनन्तगुण
भूषिते
शिवविरंचिदेवस्तुते
घनाघननिभे
सदा
ध्रुवपराशराभीष्टदे
विशुद्ध
मथुरातटे
सकलगोपगोपीवृते
कृपाजलधिसंश्रिते
मम
मनः
सुखं
भावय
यया
चरणपद्मजा
मुररिपोः
प्रियं
भावुका
समागमनतो
भवत्सकलसिद्धिदा
सेवताम्
तया
सह्शतामियात्कमलजा
सपत्नीवय
हरिप्रियकलिन्दया
मनसि
मे
सदा
स्थीयताम्
नमोऽस्तु
यमुने
सदा
तव
चरित्र
मत्यद्भुतं
न
जातु
यमयातना
भवति
ते
पयः
पानतः
यमोपि
भगिनीसुतान
कथमुहन्ति
दुष्टानपि
प्रियो
भवति
सेवनात्तव
हरेर्यथा
गोपिकाः
ममास्तु
तव
सन्निधौ
तनुनवत्वमेतावता
न
दुर्लभतमारतिर्मुररिपौ
मुकुन्दप्रिये
अतोऽस्तु
तव
लालना
सुरधुनी
परं
सुंगमा
त्तवैव
भुवि
कीर्तिता
न
तु
कदापि
पुष्टिस्थितैः
स्तुति
तव
करोति
कः
कमलजासपत्नि
प्रिये
हरेर्यदनुसेवया
भवति
सौख्यमामोक्षतः
इयं
तव
कथाधिका
सकल
गोपिका
संगम्
स्मरश्रमजलाणुभिः
सकल
गात्रजैः
संगमः
तवाष्टकमिदं
मुदा
पठति
सूरसूते
सदा
समस्तदुरितक्षयो
भवति
वै
मुकुन्दे
रतिः
तया
सकलसिद्धयो
मुररिपुश्च
सन्तुष्यति
स्वभावविजयो
भवेत
वदति
वल्लभः
श्री
हरेः

1 Dhari Kanku Kankan Panetar
2 Koi To Kahone Kai Dishama
3 Rang Berangi Chundadi Ma
4 Tare Re Bharose
5 Vaheli Parodhano Vayro Vayo
6 Ghunghate Dhankiyo Ek Kodiyu
7 Raste Rajalti Varta
8 Dada Ne Aangane
9 Mehndi Rang Lagyo
10 Tane Sachave Parvati
11 Mara Te Chit No Chor
12 Koi Goti Dyo Maro Ram
13 Nindardi
14 Yamunashtak, Pt. 1
15 Yamunashtak, Pt. 2
16 Joy Joy Thaki
17 Hansla Halore
18 Kunjaladi Re - Kunjaladi Re
19 Mane Gheli Gheli Joi
20 Rang Berangi Chundadi Ma
21 Koi To Kahone Kai Dishama
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