Lyrics Ramchandra Keh Gaye Siya Se - Anup Jalota
हे
जी
रे
हे
जी
रे
हे
जी
रे
हे
जी
रे
हे
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
इस
कलयुग
आएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हे
जी
रे
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
इस
कलयुग
आएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
सिया
पूछे
भगवान
कलयुग
में
धर्म
- कर्म
को
कोई
नहीं
मानेगा
तो
प्रभु
बोले
धर्म
भी
होगा
कर्म
भी
होगा
धर्म
भी
होगा
कर्म
भी
होगा
लेकिन
शर्म
नहीं
होगी
बात
बात
में
मात-पिता
को
बात
बात
में
मात-पिता
को
बेटा
आँख
दिखाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हे
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
राजा
और
प्रजा
दोनों
में
होगी
निसिदिन
खेचातानी
खेचातानी
कदम
कदम
पर
करेंगे
दोनों
अपनी
अपनी
मनमानी
मनमानी
जिसके
हाथ
में
होगी
लाठी
जिसके
हाथ
में
होगी
लाठी
भैंस
वही
ले
जाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हे
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
सुनो
सिया
कलयुग
में
काला
धन
और
काले
मन
होंगे
मन
होंगे
चोर
उच्चक्के
नगर
सेठ
और
प्रभु
भक्त
निर्धन
होंगे
निर्धन
होंगे
जो
भी
होगा
लोभी
भोगी
जो
भी
होगा
लोभी
भोगी
वो
जोगी
कहलाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हे
रामचंद्र
कह
गए
सिया
से
मंदिर
सूना
सूना
होगा
भरी
रहेगी
मधुशाला
मधुशाला
पिता
के
संग
संग
भरी
सभा
में
नाचेगी
घर
की
बाला
घर
की
बाला
हे
कैसा
कन्यादान
पिता
ही
कैसा
कन्यादान
पिता
ही
कन्या
का
धन
खा
जाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हंस
चुगेगा
दाना
तुन
का
कौआ
मोती
खाएगा
हे
मूरख
की
प्रीत
बुरी
जुए
की
जीत
बुरी
बुरे
संग
बैठ
ते
भागे
ही
भागे
हे
काजल
की
कोठरी
में
कैसे
ही
जतन
करो
काजल
का
दाग
भाई
लागे
ही
लागे
रे
भाई
काजल
का
दाग
भाई
लागे
ही
लागे
हे
जी
रे
कितना
जती
को
कोई
कितना
सती
हो
कोई
कामनी
के
संग
काम
जागे
ही
जागे
ऐ
सुनो
कहे
गोपीराम
जिसका
है
नाम
काम
उसका
तो
फंद
गले
लागे
ही
लागे
रे
भाई
उसका
तो
फंद
गले
लागे
ही
लागे
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