Bhupinder Singh - Ek Akela Is Shaher Mein - Revival Version Lyrics

Lyrics Ek Akela Is Shaher Mein - Revival Version - Bhupinder Singh




एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में
आबोदाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में
आबोदाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में
दिन खाली-खाली बर्तन है
दिन खाली-खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अँधेरी आँखों में.आँसू की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नहीं, मरने का बहाना ढूँढता है
ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में, आबोदाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है, एक अकेला इस शहर में
इन उम्र से लम्बी सड़कों को
इन उम्र से लम्बी सड़कों को, मंज़िल पे पहुँचते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं, हमने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में, जाना पहचाना ढूँढता है
ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में, आबोदाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है, एक अकेला इस शहर में



Writer(s): Manuel Kiparski (tur)


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