Bilal Saeed - Mohabbat yeh Lyrics

Lyrics Mohabbat yeh - Bilal Saeed



आंख है अभी नम ज़रा सी
ज़िंदगी ढूंढे वजह सी रे
एहसास वो फिर तेरा गम भर दे
जब मुझे तू तन्हा सा कर दे रे
मेरे लफ्ज़ तू ही, जान भी
मेरा इश्क़ पे ईमान भी
सजदे करे इंसान ही
दिखे तुझमे फिर जहान भी
जितना भुलाए उतना रुलाए, हुए तुम पराए जो
अब जो भी चाहे जितना भी चाहे, फिर भी रुलाए वो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
आंसुओं को मिले ना कोई वजह खुशी
दर्द है के ये दिल से जाता ही नही
आके ठहरा है मेरे सीने मे तेरा गम इस तरह
फूल सहरा मे कोई खिलता है सावन का जिस तरह
लगते हैं सारे अपने पराए, दिल चोट खाए तो
अब जो भी चाहे जितना भी चाहे, फिर भी रुलाए वो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
लम्हा-लम्हा हुआ है मुझसे यूं अजनबी
जैसे के ज़िंदगी में ज़िंदगी ही नही
नम है यह आंख, गुम है अल्फ़ाज़, खामोश है ज़ुबान
छोड़ आया मैं धड़कनो को, था तूने छोड़ा जहां
जिसके लिए हो सपने सजाए, वही तोड़ जाए तो
अब जो भी चाहे जितना भी चाहे, फिर भी रुलाए वो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो
मोहब्बत ये, हो जाए तो



Writer(s): Anwar Bilal Saeed



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