Lyrics Ek Onkar - Jaspinder Narula
इक
ओंकार
सतनाम
करता
पुरख
निर्मोह
निर्वैर
अकाल
मूरत
अजूनी
सभम
गुरु
परसाद
जप
आड़
सच
जुगाड़
सच
है
भी
सच
नानक
होसे
भी
सच
सोचे
सोच
न
हो
वे
जो
सोची
लाख
वार
छुपे
छुप
न
होवै
जे
लाइ
हर
लख्तार
उखिया
पुख
न
उतरी
जे
बनना
पूरिया
पार
सहास्यांपा
लाख
वह
है
ता
एक
न
चले
नाल
के
वे
सच
यारा
होइ
ऐ
के
वे
कूड़े
टूटते
पाल
हुकुम
रजाई
चलना
नानक
लिखिए
नाल
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