Munni Begum - Ek Bar Muskura Do Lyrics

Lyrics Ek Bar Muskura Do - Munni Begum



फ़िरदौस झूम उठे फ़ज़ा मुस्कुरा उठे
तुम मुस्कुरा उठो तो ख़ुदा मुस्कुरा उठे
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो।
अफ़साना-ए-चमन का, उनवान ही बदल दो,
फ़ूलों का सर कुचल दो, कलियों का दिल मसल दो,
आकाश की जवानी, बादल में मुँह छुपाये,
महताब डूब जाये, तारों को नींद आये,
ज़ोहरा जबीं परी रू, तमसील माह-ओ-अंजुम,
आँखें शराब आंघी, जज़्बात में तलातुम,
हिलते हुए लबों पर, हँसता हुआ तराना,
दिलनवाज़ पैकर, ख़ातिर में है ज़माना,
लब हाय अहमरीं पर, निखरी हुयी है लाली,
ये हल्की-हल्की सुर्खी, तस्वीर है शफ़क़ की,
आवारा शोख़ ज़ुल्फ़ें, रुख़सार चूमती है,
रुख़सार चूमती है, बेख़ुद हैं घूमतीं हैं,
है ज़ीस्त का सहारा, तुम मौज मैं किनारा,
लेकिन सुनो ख़ुदारा, एक बार मुस्कुरा दो,
एक बार मुस्कुरा दो, जुल्मी एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो।
एक नौजवाँ मुसाफ़िर, फ़ितरत का ला-उबाली,
एक आलमी जुनूनी, एक सम्त जा रहा था,
जैसे के अपनी धुन में, पर्बत पे चढ़ रहा था,
जुल्फ़ें के मुन्तशर थीं, चेहरे से मुज़मइल था,
नज़रें के राह पे थीं, कितना शिकस्त दिल था,
माज़ी की धुन्दलकों में, एक अक्स पा रहा था,
गुज़रा हुआ ज़माना, फ़िर याद रहा था,
अरमाँ तड़प रहे थे, हसरत मचल रही थी,
बेताब ज़िन्दगानी, करवट बदल रही थी,
गिन गिन तारे, हाय बेचारे,
गिन गिन तारे, हाय बेचारे,
चैन ना आये, जी घबराये,
देख तो क्या है, कौन बसा है,
दीद तर में, नीची नज़र में,
शीशा-ए-दिल में, आँख के तिल में,
दिल को जलाना, खेल है जाना,
दिल को जलाकर, आग लगाकर,
खुद भी जलोगे, हाथ मलोगे,
तुम शम्म-ए-फ़रोज़ाँ हो, खुद भी जलो जला दो,
लेकिन एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो,
जुल्मी एक बार मुस्कुरा दो
एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो।
तुम जान-ए-मुद्दआ हो, एक हुस्न दिलरुबा हो,
इतना तो मैं कहूँगा, मेरी ही इस ग़ज़ल का,
रंगीन क़ाफ़िया हो, एक बात तुमसे पूछूँ,
बोलो जवाब दोगी, ये हुस्न ये जवानी,
सरकार क्या करोगी, होठों की मुस्कुराहट,
बेचो ख़रीद लूँगा, मंजूर हो तो बोलो, अनमोल दाम दूँगा,
लेकिन एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो,
जुल्मी एक बार मुस्कुरा दो, एक बार मुस्कुरा दो।



Writer(s): MUNNI BEGUM



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