Shankar Mahadevan - Om Jai Jagdish Hare Lyrics

Lyrics Om Jai Jagdish Hare - Shankar Mahadevan




जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे
दुःख बिन से मन का
स्वामी दुःख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिठे तन का
जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण कहूँ किसकी
स्वामी शरण कहूँ में किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
जय जगदीश हरे
तुम पूर्ण परमात्मा
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलखामि
मैं मूरख खलखामि
कृपा करो भरता
जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सब के प्राण पति
स्वामी सब के प्राण पति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुम को मैं कुमति
जय जगदीश हरे
दीण बंधू दुःख हारता
तुम ठाकुर मेरे
स्वामी तुम ठाकुर मेरे
अपने हाथ बढ़ाओ
अपने हाथ बढ़ाओ
द्वार पढ़ा तेरे
जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
जय जगदीश हरे
श्री जगदीश की आरती
जो कोई नरगावे
स्वामी जो कोई नरगावे
कहत शिवानंद स्वामी
कहत शिवानंद स्वामी
सुख सम्पत्ति पावे
जय जगदीश हरे
जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
जय जगदीश हरे
जय जगदीश हरे
जय जगदीश हरे




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