Talat Aziz - Shabnam Ke Ansoo Phool Par Lyrics

Lyrics Shabnam Ke Ansoo Phool Par - Talat Aziz




शबनम के, आँसू फूल पर, ये तो वही, क़िस्सा हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ
शबनम...
बरसात में दीवारों दर, की सारी तेहवीरें मिटी
धोया बहुत, मिटता नहीं, तक़दीर का, लिखा हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
अनमोल मोती प्यार के, दुनिया चुरा के ले गई
दिल की हवेली, का कोई, दरवाज़ा था, टूटा हुआ...
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
मंदिर गये, मस्जिद गये, पीरों फ़कीरों से मिले
इक, उस को पाने के लिये, क्या क्या किया, क्या क्या हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
अब इन दिनों मेरी ग़ज़ल ख़ुश्बू की इक तस्वीर है
हर लफ़्ज़ गुंचे की तरह खिल कर तेरा चेहरा हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
शायद इसे भी ले गये अच्छे दिनों के क़ाफ़िले
इस बाग़ में इक फूल था तेरी तरह हँसता हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
शबनम के, आँसू फूल पर, ये तो वही, क़िस्सा हुआ
आँखें मेरी, भीगी हुईं, चेहरा, तेरा उतरा हुआ...
शबनम...
बशीर बद्र



Writer(s): TALAT AZIZ, BASHIR BADAR



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