Various Artist - Vijayi Bhava (From "Manikarnika - The Queen Of Jhansi") Lyrics

Lyrics Vijayi Bhava (From "Manikarnika - The Queen Of Jhansi") - Various Artist




तिनका-तिनका था हमने सँवारा
अपनी वो माटी और घर-बारा
लुट रहा ये चमन
अपना वतन आँखों से अपनी
लुट रहा ये चमन
अपना वतन आँखों से अपनी
संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े
हर द्वार खोल के
गगन कहे, "विजयी भवः"
विजयी भवः
गगन कहे, "विजयी भवः"
अब लपट-लपट का तार बने, और अग्नि सितार बने
अब चलें आँधियाँ सनन-सनन, गूँजें जयकार बनें
हर नैन-नैन में ज्वाला हो, हर हृदय-हृदय में भाला हो
हर क़दम-क़दम में सेना की सच्ची ललकार बने
अब पटक-पटक अंगारों को उड़ता चिंगार बने
है रात की सुरंग, भटकी है रोशनी
है छटपटा रही रोशनी
गगन कहे, "विजयी भवः"
सौंधी-सौंधी मिट्टी बारूदी हो गई, बावरे
(ओ-आ), भोली सी तेरी बाँसुरी खो गई, साँवरे
घायल है तेरा जल, तू नदी है, राह बदल
पानी कुलबुला रहा है कल-कल-कल
तू निकल, तू निकल
माटी ने तेरी आज पुकारा
धरती ये पूछे बारंबारा
लुट रहा ये चमन
तेरा वतन आँखों से अपनी
लुट रहा ये चमन
तेरा वतन आँखों से अपनी
संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े
हर द्वार खोल के
गगन कहे, "विजयी भवः"
गगन कहे, "विजयी भवः"
हो, विजयी भवः



Writer(s): Shankar Mahadevan, Ehsaan Noorani, Prasoon Joshi, Loy Mendonsa


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