Текст песни Bharat Bhai Kapi Se Urin (Live) - Anup Jalota
भरत
भाई
...
भरत
भाई,
कपि
से
उरिन
हम
नाहीं...
कपि
से
उरिन
हम
नाहीं.
सौ
योजन,
मर्याद
समुद्र
की
ये
कूदी
गयो
छन
माहीं
लंका
जारी,
सिया
सुधि
लायो
पर
गर्व
नहीं
मन
माहीं...
शक्तिबाण,
लग्यो.
लछमन
के.
हाहाकार
भयो
दल
माहीं.
धौला.गिरी,
कर
धर
ले
आयो.
भोर
ना.
होने
पाई...
अहिरावन
की
भुजा
उखारी
पैठी
गयो.
मठ
माहीं.
जो
भैया.,
हनुमत
नहीं
होते.
मोहे,
को
लातो.
जग
मा
हीं...
आज्ञा
भंग,
कबहुं
नहिं
कीन्हीं
जहाँ
पठायु
तंह
जाई.
तुलसीदास,
पवनसुत
महिमा.
प्रभु
निज
मुख
करत
बड़ा.ई...
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