Текст песни Vaishnav Janato - Anuradha Paudwal
                                                Vaishnav 
                                                Jan 
                                                To, 
                                                Tene 
                                                Kahiye 
                                                Je 
                                                Peed 
                                                Paraaye 
                                                Jaane 
                                                Re
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                पीड़ 
                                                परायी 
                                                जाणे 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                Par 
                                                Dukkhe 
                                                Upkaar 
                                                Kare 
                                                Toye
 
                                    
                                
                                                Man 
                                                Abhiman 
                                                Na 
                                                Anne 
                                                Re
 
                                    
                                
                                                पर-दुख्खे 
                                                उपकार 
                                                करे 
                                                तोये
 
                                    
                                
                                                मन 
                                                अभिमान 
                                                ना 
                                                आणे 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                Vaishnav 
                                                Jan 
                                                To, 
                                                Tene 
                                                Kahiye 
                                                Je.
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                ...
 
                                    
                                
                                                सकळ 
                                                लोक 
                                                मान 
                                                सहुने 
                                                वंदे
 
                                    
                                
                                                नींदा 
                                                    न 
                                                करे 
                                                केनी 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                वाच 
                                                काछ 
                                                मन 
                                                निश्चळ 
                                                राखे
 
                                    
                                
                                                धन-धन 
                                                जननी 
                                                तेनी 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                ...
 
                                    
                                
                                                सम-द्रिष्टी 
                                                ने 
                                                तृष्णा 
                                                त्यागी
 
                                    
                                
                                                पर-स्त्री 
                                                जेने 
                                                मात 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                जिह्वा 
                                                थकी 
                                                असत्य 
                                                ना 
                                                बोले
 
                                    
                                
                                                पर-धन 
                                                नव 
                                                झाली 
                                                हाथ 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                ...
 
                                    
                                
                                                मोह-माया 
                                                व्यापे 
                                                नही 
                                                जेने
 
                                    
                                
                                                द्रिढ़ 
                                                वैराग्य 
                                                जेना 
                                                मन 
                                                मान 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                राम 
                                                नाम 
                                                सुन 
                                                ताळी 
                                                लागी
 
                                    
                                
                                                सकळ 
                                                तिरथ 
                                                तेना 
                                                तन 
                                                मान 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                ...
 
                                    
                                
                                                वण-लोभी 
                                                ने 
                                                कपट-रहित 
                                                छे
 
                                    
                                
                                                काम-क्रोध 
                                                निवार्या 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                भणे 
                                                नरसैय्यो 
                                                तेनुन 
                                                दर्शन 
                                                कर्ता
 
                                    
                                
                                                कुळ 
                                                एकोतेर 
                                                तारया 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                वैश्णव 
                                                जन 
                                                तो 
                                                तेने 
                                                कहिये 
                                                जे 
                                                ...
 
                                    
                                
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