Asha Bhosle & Mahendra Kapoor - Zindagi Ittefaq Hai - Duet Version текст песни

Текст песни Zindagi Ittefaq Hai - Duet Version - Mahendra Kapoor , Asha Bhosle




ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी
आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
हाए
जाम पकड़ बढ़ा के हाथ, माँग दुआ घटे ना रात
जान-ए-वफ़ा, तेरी क़सम, कहते हैं दिल की बात हम
'गर कोई मेल हो सके, आँखों का खेल हो सके
अपने को ख़ुशनसीब जान
वक़्त को मेहरबान मान
मिलते हैं दिल कभी-कभी
वरना हैं अजनबी सभी
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
हर ख़ुशी इत्तिफ़ाक़ है
हर ख़ुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी
आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
हुस्न है और शबाब है, ज़िंदगी क़ामयाब है
बज़्म यूँ ही खिली रहे, अपनी नज़र मिली रहे
रंग यूँ ही जमा रहे, वक़्त यूँ ही थमा रहे
साज़ की लय पे झूम ले
ज़ुल्फ़ के ख़म को चूम ले
मेरे किए से कुछ नहीं
तेरे किए से कुछ नहीं
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
ये सभी इत्तिफ़ाक़ है
ये सभी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी
आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
कोई तो बात कीजिए, यारों का साथ दीजिए
कभी ग़ैरों पे भी अपनों का गुमाँ होता है
कभी अपने भी नज़र आते हैं बेगाने से (वाह-वाह!)
कभी ख़्वाबों में चमकते हैं मुरादों के महल
कभी महलों में उभर आते हैं वीराने से (हाए-हाए-हाए)
कोई रुत भी सदा नहीं
क्या होगा कुछ पता नहीं
ग़म फ़िज़ूल है, ग़म ना कर
आज का जश्न कम ना कर
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
हर ख़ुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी
आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है
खोए से क्यूँ हो इस क़दर? ढूँढती है किसे नज़र?
आज मालूम हुआ, पहले ये मालूम ना था
चाहतें बढ़ के पशेमान भी हो जाती हैं (अच्छा)
दिल के दामन से लिपटती हुई रंगीं नज़रें
देखते-देखते अनजान भी हो जाती हैं
देखते-देखते अनजान भी हो जाती हैं
यार जब अजनबी बने
यार जब बेरुख़ी बने
दिल पे सह जा, गिला ना कर
सब से हँसकर मिला नज़र
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
दोस्ती इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी
आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िंदगी इत्तिफ़ाक़ है




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