Chitra Singh, Jagjit Singh - Apni Aag Ko Zinda Rakhna (Original) текст песни

Текст песни Apni Aag Ko Zinda Rakhna (Original) - Jagjit Singh , Chitra Singh




अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की
कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की
ख़ुद को पस-ए-आईना रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
तुमने मंदिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है
तुमने मंदिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ
चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है
अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है



Авторы: Jagjit Singh Dhiman, Ishrat Afreen


Внимание! Не стесняйтесь оставлять отзывы.
//}