Текст песни Man Maila Aur Tan Ko Dhoye - Hari Om Sharan
मैली
चादर
ओढ़
के
कैसे
द्वार
तुम्हारे
आऊ
मन
मैला
और
तन
को
धोए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
फूल
को
चाहे,
कांटे
बोये,
कांटे
बोये
मन
मैला
और
तन
को
धोए
फूल
को
चाहे,
कांटे
बोये,
कांटे
बोये
मन
मैला
और
तन
को
धोए
करे
दिखावा
भगति
का,
क्यों
उजली
ओढ़े
चादरिया
भीतर
से
मन
साफ
किया
ना,
बाहर
मांजे
गागरिया
परमेश्वर
नित
द्वार
पे
आया
परमेश्वर
नित
द्वार
पे
आया,
तू
भोला
रहा
सोए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
कभी
ना
मन-मंदिर
में
तूने
प्रेम
की
ज्योत
जलाई
सुख
पाने
तू
दर-दर
भटके,
जनम
हुआ
दुखदाई
अब
भी
नाम
सुमिर
ले
हरी
का
अब
भी
नाम
सुमिर
ले
हरी
का,
जनम
वृथा
क्यों
खोए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
साँसों
का
अनमोल
खजाना
दिन-दिन
लूटता
जाए
मोती
लेने
आया
तट
पे,
सीप
से
मन
बहलाए
साँचा
सुख
तो
वो
ही
पाए
साँचा
सुख
तो
वो
ही
पाए,
शरण
प्रभु
की
होए
मन
मैला
और
तन
को
धोए
फूल
को
चाहे,
कांटे
बोये,
कांटे
बोये
मन
मैला
और
तन
को
धोए
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