Hariharan - Hasti Apni Habab Ki Si Hai текст песни

Текст песни Hasti Apni Habab Ki Si Hai - Hariharan




हस्ती अपनी हबाब की सी है
ये नुमाइश साराब की सी है
नाजुकी उसके लब की क्या कहिये
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है
बार बार उसके दर पे जाता हूँ
हालत अब इज़ितराब की सी है
मैं जो बोला कहा कि ये आवाज
उसी खाना-ख़राब की सी है
'मीर 'उन नीम बाज़ आँखो में
सारी मस्ती शराब की सी है



Авторы: ustad ghulam mustafa khan, meer taqi meer


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