Текст песни Hasti Apni Habab Ki Si Hai - Hariharan
हस्ती
अपनी
हबाब
की
सी
है
ये
नुमाइश
साराब
की
सी
है
नाजुकी
उसके
लब
की
क्या
कहिये
पंखुड़ी
एक
गुलाब
की
सी
है
बार
बार
उसके
दर
पे
जाता
हूँ
हालत
अब
इज़ितराब
की
सी
है
मैं
जो
बोला
कहा
कि
ये
आवाज
उसी
खाना-ख़राब
की
सी
है
'मीर
'उन
नीम
बाज़
आँखो
में
सारी
मस्ती
शराब
की
सी
है
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