Текст песни Raakh Ke Dher Ne - Jagjit Singh
कोई
गेसू,
कोई
आँचल
हमे
आवाज़
ना
दे
अब
किसी
आँख
का
काजल
हमे
आवाज़
ना
दे
हम
हैं
खामोश,
तो
खामोश
ही
रहने
दो
हमे
कोई
आह,ट
कोई
हल-चल
हमें
आवाज़
ना
दे
हमने
तन्हाई
को
महबूब
बना
रखा
है
राख
के
ढेर
में
शोलों
को
दबा
रखा
है
फिर
पुकारा
है
मोहब्बत
ने
हमें,
क्या
कीजे
दी
सदा
हुश्न
की
जन्नत
ने
हमें,
क्या
कीजे
जिसके
साये
से
भी
अक्सर
हमें
डर
लगता
था
छु
लिया
फिर
उसी
हसरत
में
हमे,
क्या
कीजे
हम
ने
जज़्बात
से
दामन
को
बचा
रखा
है
राख
के
ढेर
में
शोलों
को
दबा
रखा
है
रास
आए
ना
कभी
प्यार
के
हालात
हमें
दिल
के
इस
खेल
में
हर
बार
हुई
मात
हमें
क्या
करेंगे?
कहा
जायेंगे?
किधर
जायेंगे?
दे
गई
अब
भी
दगा
गर
ये
मुलाकात
हमें
बस
इसी
सोंच
ने
हमें
दीवाना
बना
रखा
है
राख
के
ढेर
में
शोलों
को
दबा
रखा
है
राख
के
ढेर
में
शोलों
को
दबा
रखा
है
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