Текст песни Aadmi Khilona Hai 1 - Pankaj Udhas
तृष्णा,
माया,
लोभ
में
भटक
रहा
इंसान
नज़रों
से
खोने
लगी
अपनों
की
पहचान
तृष्णा,
माया,
लोभ
में
भटक
रहा
इंसान
नज़रों
से
खोने
लगी
अपनों
की
पहचान
बस
इसी
बात
का
ही
तो
रोना
है
आदमी
खिलौना
है
आदमी
खिलौना
है
रब
जो
चाहे
वही
तो
होना
है
आदमी
खिलौना
है
आदमी
खिलौना
है
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