Текст песни Banjarey - Rahat Fateh Ali Khan
                                                फिर 
                                                रहे 
                                                हम 
                                                तो 
                                                सौ 
                                                सौ 
                                                ठिकाने
 
                                    
                                
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                होके 
                                                दीवाने
 
                                    
                                
                                                फिर 
                                                रहे 
                                                हम 
                                                तो 
                                                सौ 
                                                सौ 
                                                ठिकाने
 
                                    
                                
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                होके 
                                                दीवाने
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                
                                                इश्क 
                                                है 
                                                ज़िन्दगी, 
                                                ये 
                                                नहीं 
                                                दिल्लगी
 
                                    
                                
                                                सब 
                                                ग़मों 
                                                की 
                                                येही 
                                                तो 
                                                दवा 
                                                है
 
                                    
                                
                                                हाँ 
                                                हाँ 
                                                हाँ
 
                                    
                                
                                                इश्क 
                                                है 
                                                ज़िन्दगी, 
                                                ये 
                                                नहीं 
                                                दिल्लगी
 
                                    
                                
                                                सब 
                                                ग़मों 
                                                की 
                                                येही 
                                                तो 
                                                दवा 
                                                है
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                
                                                धडकनें 
                                                बढ़ 
                                                गयी 
                                                बेचैनी 
                                                बढ़ 
                                                गयी
 
                                    
                                
                                                फासले 
                                                अब 
                                                हमें 
                                                क्यूँ 
                                                डरायें
 
                                    
                                
                                                हो, 
                                                धडकनें 
                                                बढ़ 
                                                गयी 
                                                बेचैनी 
                                                बढ़ 
                                                गयी
 
                                    
                                
                                                फासले 
                                                अब 
                                                हमें 
                                                क्यूँ 
                                                डरायें
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बेचैनी 
                                                सी 
                                                है 
                                                क्यूँ 
                                                ढूढ़ते 
                                                हैं 
                                                सुकून
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                इश्क 
                                                में 
                                                तेरे 
                                                लिए
 
                                    
                                
                                                बंजारे 
                                                बनके 
                                                फिरें 
                                                बंजारे
 
                                    
                                 
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