Rahat Fateh Ali Khan - Dil Ka Mizaaj Ishqiya текст песни

Текст песни Dil Ka Mizaaj Ishqiya - Rahat Fateh Ali Khan




रुक रुक के
कहते हैं
झुक झुक के
रहते हैं
रुक रुक के
कहते हैं
झुक झुक के
रहते हैं
दिल का मिज़ाज इश्किया
दिल का मिज़ाज इश्किया
तनहा है लोगों में
लोगों में तनहायी
दिल का मिज़ाज इश्किया
दिल का मिज़ाज इश्किया
चोटें भी खाये
और गुनगुनाए
आइसा ही था ये
आइसा ही है ये
मस्ती में रहता है
मस्ताना सौदाई
दिल का मिज़ाज इश्किया
अरे दिल का मिज़ाज इश्किया
शर्मीला शर्मीला
परदे में रहता है
दर्दों के छोंके भी
चुपके से सहता है
निकलता नहीं है
गली से कभी
निकल जाए तो दिल
भटक जाता है
अरे बच्चा है आखिर
बहक जाता है
ख़्वाबों में
रहता है
बचपन से हरजाई
दिल का मिज़ाज इश्किया
दिल का मिज़ाज इश्किया
गुस्से में बल खाना
गैरों से जल जाना
मुश्किल में आये तो
वादों से टल जाना
उलझने की इसको यूँ आदत नहीं
मगर बेवफारी शराफत नहीं
यूँ जज्बात हो के
छलक जाता है
इश्क में होती है
थोड़ी सी गरमाई
दिल का मिज़ाज इश्किया
अरे दिल का मिज़ाज इश्किया
रुक रुक के
इश्किया
झुक झुक के
इश्किया
रुक रुक के
कहते हैं (कहते हैं)
झुक झुक के
रहते हैं (रहते हैं)
इश इश इश्किया
इश्किया
इश्किया



Авторы: GULZAR, VISHAL BHARADWAAJ


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