Lalit Pandit feat. Prashant Soni - Thame Dil Ko Songtexte

Songtexte Thame Dil Ko - Lalit Pandit , Prashant Soni




थामे दिल को कब से मैं खड़ा हूँ राहों में
जाने कब तू के मुस्कुराए बाहों में
थामे दिल को कब से मैं खड़ा हूँ राहों में
जाने कब तू के मुस्कुराए बाहों में
आठों पहर ही बेताबियाँ हैं
कैसी खुमारी छाई है प्यार में तेरे?
थामे दिल को कब से मैं खड़ा हूँ राहों में
जाने कब तू के मुस्कुराए बाहों में
आठों पहर ही बेताबियाँ हैं
कैसी खुमारी छाई है प्यार में तेरे?
थामे दिल को...
जब से मेरे दिल में गूँजे चाहत के नग़में
थोड़े बदले हैं मेरे सुबह-शाम, जान-ए-जाना
अब तो दिन खिलते हैं, ये रातें भी ढलती हैं
इन होंठों पे लेके तेरा नाम, मेरी जाना
कैसा अजब सा एहसास है ये?
खुद पे ही मेरा कोई भी ज़ोर ना चले
थामे दिल को कब से मैं खड़ा हूँ राहों में
जाने कब तू के मुस्कुराए बाहों में
आठों पहर ही बेताबियाँ हैं
कैसी खुमारी छाई है प्यार में तेरे?
थामे दिल को...
तेरे जाने से, यूँ चाहत बरसाने से
जैसे छाई है नयी सी बहार मेरे दिल में
जैसे ये बेचैनी दिन-रात मुझे रहती है
क्या ऐसा ही मेरा है खुमार तेरे दिल में?
तेरी भी आँखें सोती नहीं हैं
लगता मुझे है तेरा ये हाल देख के
थामे दिल को कब से मैं खड़ा हूँ राहों में
जाने कब तू के मुस्कुराए बाहों में
आठों पहर ही बेताबियाँ हैं
कैसी खुमारी छाई है प्यार में तेरे?
थामे दिल को...



Autor(en): Alok Ranjan Jha


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