Lyrics Mitwa - Sukhvinder Singh , Alka Yagnik , Srinivas , Udit Narayan
हर
संत
कहे,
साधू
कहे
सच
और
साहस
है
जिसके
मन
में
अंत
में
जीत
उसीकी
रहे
आजा
रे
आजा
रे,
आजा
रे
आजा
रे
भले
कितने
लम्बे
हो
रस्ते,
हो
थके
ना
तेरा
ये
तन,
हो
आजा
रे
आजा
रे,
सुन
ले
पुकारे
डगरिया
रहे
ना
ये
रस्ते
तरसते,
हो,
तू
आजा
रे
इस
धरती
का
है
रजा
तू,
ये
बात
जान
ले
तू
कठिनाई
से
टकरा
जा
तू,
नहीं
हार
मान
ले
तू
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
तू
आजा
रे
सुन
लो
रे
मितवा
जो
है
तुमरे
मन
में,
वोही
हमरे
मन
में
जो
सपना
है
तुमरा,
सपना
वोही
हमरा
है
जीवन
में
हाँ,
चले
हम
लिए
आसा
के
दिए
नयनन
में
दिए
हमरी
आशाओं
के
कभी
बुझ
ना
पाए
कभी
आंधियां
जो
आके
इनको
बुझाए
ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
तू
आजा
रे
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना,
आजा
रे
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना
ता
ना,
ता
ना
ना
ना,
ता
ना
ना
ना
ना
ना,
आजा
रे
सुन
लो
रे
मितवा
पुरवा
भी
गाएगी,
मस्ती
भी
छाएगी
मिलके
पुकारो
तो
फूलों
वाली
जो
रुत
है,
आएगी
हाँ,
सुख
भरे
दिन,
दुःख
के
बिन
लाएगी
हम
तुम
सजाये
आओ,
रंगों
के
मेले
रहते
हो
बोलो
काहे
तुम
यूँ
अकेले
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
तू
आजा
रे
हर
संत
कहे,
साधू
कहे
सच
और
साहस
है
जिसके
मन
में
अंत
में
जीत
उसीकी
रहे
ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे
ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे
(ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे)
(ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे)
(ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे)
(ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे)
(ओ
मितवा,
सुन
मितवा,
तुझको
क्या
डर
है
रे)
(ये
धरती
अपनी
है,
अपना
अम्बर
है
रे)
(तू
आजा
रे,
तू
आजा
रे,
तू
आजा
रे)
(तू
आजा
रे)
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