Lyrics Pashmina - Amit Trivedi
पश्मीना
धागों
के
संग
कोई
आज
बुने
ख़्वाब
ऐसे
कैसे
वादी
में
गूँजे
कहीं
नये
साज़
ये
रवाब
ऐसे
कैसे
पश्मीना
धागों
के
संग
कलियों
ने
बदले
अभी
ये
मिज़ाज,
एहसास
ऐसे
कैसे
पलकों
ने
खोले
अभी
नये
राज़,
जज़्बात
ऐसे
कैसे
पश्मीना
धागों
के
संग
कोई
आज
बुने
ख़्वाब
ऐसे
कैसे
कच्ची
हवा,
कच्चा
धुआँ
घुल
रहा
कच्चा
सा
दिल
लमहें
नये
चुन
रहा
कच्ची
सी
धूप,
कच्ची
डगर
फ़िसल
रही
कोई
खड़ा
चुपके
से
कह
रहा
मैं
साया
बनूँ,
तेरे
पीछे
चलूँ,
चलता
रहूँ
पश्मीना
धागों
के
संग
कोई
आज
बुने
ख़्वाब
ऐसे
कैसे
शबनम
के
दो
कतरे
यूँ
ही
टहल
रहें
शाखों
पे
वो
मोती
से
खिल
रहें
बेफ़िक्र
से
एक
दूजे
में
घुल
रहें
जब
हो
जुदा
ख़यालों
में
मिल
रहें
ख़यालों
में
यूँ
ये
गुफ़्तगू
चलती
रहे,
हो-हो
वादी
में
गूँजे
कहीं
नये
साज़
ये
रवाब
ऐसे
कैसे
ऐसे
कैसे,
ऐसे
कैसे
ऐसे
कैसे,
ऐसे
कैसे
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