Arijit Singh - Rishton Ke Saare Manzar Lyrics

Lyrics Rishton Ke Saare Manzar - Arijit Singh




रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
हाथों में सबके खंजर
हाथों में सबके खंजर
चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
जिसमें पला है मेरे
बचपन का लम्हा लम्हा
जिसमें पला है मेरे
बचपन का लम्हा लम्हा
जिसमें पला है मेरे
बचपन का लम्हा लम्हा
उजड़ा हुआ सा वो घर
चुपचाप देखता हूँ
उजड़ा हुआ सा वो घर
चुपचाप देखता हूँ
हाथों में सबके खंजर
हाथों में सबके खंजर
चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
धरता है कितने तोहमत
मुझपे वजूद मेरा
धरता है कितने तोहमत
मुझपे वजूद मेरा
धरता है कितने तोहमत
मुझपे वजूद मेरा
जब भी मैं दिल के अंदर
चुपचाप देखता हूँ
जब भी मैं दिल के अंदर
चुपचाप देखता हूँ
हाथों में सबके खंजर
हाथों में सबके खंजर
चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
वो रहगुज़र कभी जो
मंज़िल की इब्तिदा थी
वो रहगुज़र कभी जो
मंज़िल की इब्तिदा थी
वो रहगुज़र कभी जो
मंज़िल की इब्तिदा थी
उसको मैं अब पलटकर
चुपचाप देखता हूँ
उसको मैं अब पलटकर
चुपचाप देखता हूँ
हाथों में सबके खंजर
हाथों में सबके खंजर
चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र
चुपचाप देखता हूँ
चुपचाप देखता हूँ



Writer(s): ANUP JALOTA, HARSH BRAHMBHAAT


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