Lyrics Mamta Se Bhari - Bombay Jayashri
ममता
से
भरी
तुझे
छाओं
मिली
जुग
जुग
जीना
तू
बाहुबली
है
जहाँ
विष
और
अमृत
भी
मन
वो
मंथन
स्थली
महिष
मति
का
वंशज
वो
जिसे
कहते
बाहुबली
रणमें
वो
ऐसे
टूटे
जैसे
टूटे
कोई
बिजली
है
जहाँ
विष
और
अमृत
भी
मन
वो
मंथन
स्थली
तलवारें
जब
वो
लेहरायए
छात्र
भिन्न्
मस्तक
हो
जाए
शत्रु
दल
ये
सोच
न
पाए
जाएं
बचके
कहाँ
माता
है
भाग्य
विधाता
मला
साथी
केहलाता
ऐसा
अध्भुत
वो
राजा
सबका
मन
जो
जीते
ओ
शाशन
वही
शिवगामी
कहे
जो
रण
धर
धरम
का
मन
में
छलता
हर
क्षण
है
जहाँ
विष
और
अमृत
भी
मन
वो
मंथन
स्थली
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