Kailash Kher - Jal Rahin Hain Lyrics

Lyrics Jal Rahin Hain - Kailash Kher



जल रही है चीता
साँसों मैं हैं धुवा
फिर भी आस मन में हैं जगी
भोर होगी क्या कभी यहाँ
पूछती यही ये बेड़ियाँ
देख तो कौन है ये
महिष्मति साम्राज्याँ
सर्वोत्तम प्रचेयम
दसो दिशाएआतेयम
सत इसको करते प्रणाम
खुशहाली वैभवशाली
शम्रुधिया निराली
धन्य धन्य है यहाँ प्रजा
शांति का ये स्वर्ग था
घंन गरज जो किरत्क यहाँ
डिग डिगान्त में है कहाँ
शीश तो यहाँ झुका ज़रा
यशसवीनी है ये धरा
महिष्मति की पताका
सदा यूँही गगन चूमे
अश्वदो और सूर्यादेव मिलके
स्वर्ग सिंघासन विराजे



Writer(s): MM KREEM, MANOJ MUNTASHIR


Kailash Kher - Baahubali - The Beginning
Album Baahubali - The Beginning
date of release
12-09-2018




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