Ghulam Ali - Har Ek Baar Pe Kehte Lyrics

Lyrics Har Ek Baar Pe Kehte - Ghulam Ali




हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्हीं बताओ ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से टपका तो फिर लहू क्या है
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगरना शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है





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