Kishore Kumar - Manzilen Apni Jagah Hai Lyrics

Lyrics Manzilen Apni Jagah Hai - Kishore Kumar




मंज़िलों पे के लुटते हैं दिलों के कारवाँ
कश्तियाँ साहिल पे अक्सर डूबती है प्यार की
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे, तो मुसाफ़िर क्या करे?
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फ़िर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत
दिल बहल जाए फ़क़त इतना इशारा ही बहुत
इतने पर भी आसमाँ वाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतला दे ज़रा ये डूबता फ़िर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
प्यार करना जुर्म है तो, जुर्म हमसे हो गया
काबिल-ए-माफ़ी हुआ, करते नहीं ऐसे गुनाह
तंग दिल है ये जहाँ और संग दिल मेरा सनम
क्या करे जोश-ए-जुनूँ? और हौसला फ़िर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे, तो मुसाफ़िर क्या करे?
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फ़िर क्या करे?



Writer(s): Mehra Prakash


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