Lata Mangeshkar & मुकेश - Kahin Karti Hogi Woh Mera Intezar (Original) Lyrics

Lyrics Kahin Karti Hogi Woh Mera Intezar (Original) - Lata Mangeshkar & मुकेश




कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
कहीं बैठी होगी राहों में, गुम अपनी ही बाँहों में
लिए खोई सी निगाहों में खोया-खोया सा प्यार
छाया रुकी होगी आँचल की, चुप होगी धुन पायल की
होगी पलकों में काजल की खोई-खोई बहार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
दूर ज़ुल्फ़ों की छाँव से, कहता हूँ इन हवाओं से
उसी बुत की अदाओं के अफ़साने हज़ार
वो जो बाँहों में मचल जाती, हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती, मिल जाता क़रार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
कहीं करती होगी जो मेरा इंतज़ार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
दूर ज़ुल्फ़ों की छाँव से, कहता हूँ इन हवाओं से
उसी बुत की अदाओं के अफ़साने हज़ार
वो जो बाँहों में मचल जाती, हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती, मिल जाता क़रार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
Hey, अरमान है, कोई पास आए, इन हाथों में वो हाथ आए
फिर ख़्वाबों की घटा छाए, बरसाए ख़ुमार
फिर उन्हीं दिन-रातों पे, मतवाली मुलाक़ातों पे
उल्फ़त-भरी बातों पे हम होते निसार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार



Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Rahul Dev Burman



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