Shankar - Jaikishan - Kisine Apana Bana Ke Mujhko Lyrics

Lyrics Kisine Apana Bana Ke Mujhko - Lata Mangeshkar




किसी ने अपना बना के मुझको
मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसी ने हँस के
चिराग़ जैसे जला दिया
किसी ने अपना बना के मुझको
मुस्कुराना सिखा दिया
शरम के मारे मैं कुछ ना बोली
शरम के मारे मैं कुछ ना बोली
नज़र ने पर्दा गिरा दिया
मगर वो सब कुछ समझ गए हैं
कि दिल भी मैंने गँवा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको
मुस्कुराना सिखा दिया
ना प्यार देखा, ना प्यार जाना
ना प्यार देखा, ना प्यार जाना
सुनी थी लेकिन कहानियाँ
सुनी थी लेकिन कहानियाँ
जो ख़्वाब रातों में भी ना आया
वो मुझको दिन में दिखा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको
मुस्कुराना सिखा दिया
वो रंग भरते हैं ज़िंदगी में
वो रंग भरते हैं ज़िंदगी में
बदल रहा है मेरा जहाँ
कोई सितारे लुटा रहा था
किसी ने दामन बिछा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको
मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसी ने हँस के
चिराग़ जैसे जला दिया



Writer(s): Jaikshan Shankar, Shailendra


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