Lyrics Rahi Manwa - Mohammed Rafi
दुःख
हो
या
सुख
जब
सदा
संग
रहे
ना
कोय
फ़िर
दुःख
को
अपनाईये
के
जाए
तो
दुःख
ना
होय
राही
मनवा
दुःख
की
चिंता
क्यूँ
सताती
है
दुःख
तो
अपना
साथी
है
सुख
है
इक
छाँव
ढलती,
आती
है,
जाती
है
दुःख
तो
अपना
साथी
है
दूर
है
मंजिल
दूर
सही
प्यार
हमारा
क्या
कम
है
पग
में
काँटे
लाख
सही
पर
ये
सहारा
क्या
कम
है
हमराह
तेरे
कोई
अपना
तो
है
सुख
है
इक
छाँव
ढलती...
दुःख
हो
कोई
तब
जलते
हैं
पथ
के
दीप
निगाहों
में
इतनी
बड़ी
इस
दुनिया
की
लंबी
अकेली
राहों
में
हमराह
तेरे
कोई
अपना
तो
है
सुख
है
इक
छाँव...
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