Raghu Dixit - Khidki Lyrics

Lyrics Khidki - Raghu Dixit




खिड़की ये सोने ना दे रे
रात भर मुझे जगाए रे
खिड़की ये सोने ना दे रे
रात भर मुझे जगाए रे
सपनों को, करवटों को, यादों को, उलझनों को रात भर फिर जगाए रे
सपनों को, करवटों को, यादों को, उलझनों को रात भर फिर जगाए रे
आँख बंद करना चाहूँ रे
याद तेरी फिर सताए रे
आँख बंद करना चाहूँ रे
याद तेरी फिर सताए रे
किस्सों के कातिलों का, राहों का, मंजिलों का कारवाँ चलता जाए रे
किस्सों के कातिलों का, राहों का, मंजिलों का कारवाँ चलता जाए रे
खिड़की ये सोने दे रे
रात भर मुझे जगाए रे
Oh, खिड़की ये सोने दे रे, hey
भी जा
भी जा ना रे
आँखों में
बस भी जाना रे
दिल में थोड़ी खामोशी, हल्की फूँक दे जा रे
Oh, जब पवन झोंका लाए रे
बीता कल फिर जगाए रे
जब पवन झोंका लाए रे
बीता कल फिर जगाए रे
चाँद में, सितारों में, नींद के बाजारों में आहटें भरती जाए रे
चाँद में, सितारों में, नींद के बाजारों में आहटें भरती जाए रे
Oh, खिड़की ये सोने दे रे
रात भर मुझे जगाए रे
खिड़की ये सोने दे रे
रात भर मुझे जगाए रे
सपनों को, करवटों को, यादों को, उलझनों को रात भर फिर जगाए रे
सपनों को, करवटों को, यादों को, उलझनों को रात भर फिर जगाए रे
Oh, खिड़की ये सोने दे रे
खिड़की ये सोने दे रे
Oh, खिड़की ये सोने दे रे, hey



Writer(s): Raghu Dixit


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