Lyrics Introduction - Sangeeta Datta
Tagore
के
गीत
सुन
के
कितनी
निर्मल
भावनाएँ
कितने
मुलायम
जज़्बात
दिल
में
जागते
हैं
कितनी
गहरी-हल्की
तस्वीरें
ध्यान
की
दीवारों
पे
सजने
लगती
हैं,
कैसी-कैसी
यादें
उभरती
हैं
इन
गीतों
में
पद्मा
की
नर्म
लहरें
ब्रह्मपुत्र
की
गहराई
है
घनेरे
बरगदों
की
छाँव
है
कच्ची
भोर
के
रेशमी
धुँधलकों
में
लिपटे
फूलों
पे
थरथराती
ओस
की
बूँदें
हैं
लगता
है
आँखों
से
ओझल
दूर
कहीं
कोई
एकतारा
बज
रहा
है
निगाहों
में
जैसे
गहरी
हरी
घास
के
मैदान
फैलते
जाते
हैं
और
घिर
आते
हैं
जैसे
आकाश
में
वो
बादल
जो
ना
जाने
किसके
संदेसे
लेके
आए
हैं
इस
पाकीज़गी,
मासूमियत
और
मोहब्बत
की
जादूभरी
शायरी
को
कोई
एक
ज़बान
से
दूसरी
ज़बान
तक
कैसे
ले
जाए?
किसी
ने
सच
ही
तो
कहा
है
कि
इत्र
को
एक
शीशी
से
दूसरी
शीशी
में
कितना
ही
सँभाल
के
उँडेलो
कुछ
ना
कुछ
खुशबू
तो
हवा
में
खो
ही
जाएगी
मगर
ये
Tagore
के
गीत
हैं
इनकी
सुगंध
कम
होने
का
नाम
ही
नहीं
लेती
तो
सुनिए
इस
महान
कवि
के
बंगाली
गीतों
का
तर्जुमा
मेरी
ज़बान
में
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