Lyrics Kaahe Janam Hume - Sanjay Pathak
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
काहे
जनमते
न
दिहलू
ज़हरिया
हो
काहे
जनमते
न
दिहलू
ज़हरिया
हो,
जोगी
ना
बनती
आई
के
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
नव
माह
कोखियाँ
में
मोहे
सुतवलू
अंगियाँ
में
मोरा
कई
जतन
बनवलू
नव
माह
कोखियाँ
में
मोहे
सुतवलू
अंगियाँ
में
मोरा
कई
जतन
बनवलू
बहुते
दरद
सही,
बहुते
दरद
सही
गोदियाँ
में
पवलू
हो
लाड
लगवलू
काहे
ख़ुशी
के
माई
सबका
बुलवलू
झूमी
झूमी
सोहर
गावे
के
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
रहन
गरीबी
ना
पढ़वलू
लिखवलू
मेहनत
मजदूरी
बचेपन
से
सिखवलू
रहन
गरीबी
ना
पढ़वलू
लिखवलू
मेहनत
मजदूरी
बचेपन
से
सिखवलू
चोट
हमका
लागल
आंसू,
चोट
हमका
लागल
आंसू
झर
झर
बहवलू
माई,
सीने
से
लगवलू
ममता
का
चीन
लिहलू
सर
से
अचलवा
हो
भेज
दिहलू
दूर
कमाए
के
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
बचपन
बुढ़ापा
जननी
हाय
रे
जवानी
एक
दिन
ठहरल
नाही
देखि
परेशानी
बचपन
बुढ़ापा
जननी
हाय
रे
जवानी
एक
दिन
ठहरल
नाही
देखि
परेशानी
बड़ा-छोटा
उंच-नीच,
बड़ा-छोटा
उंच-नीच
जात-पात
तोर-मोर
जग
में
यही
कझोड
सबका
पता
इहा
सब
ह
मुसाफिर,
एक
दिन
ह
सबका
जाइके
काहे
जनमते
न
दिहलू
ज़हरिया
हो
काहे
जनमते
न
दिहलू
ज़हरिया
हो,
जोगी
ना
बनती
आई
के
काहे
जनम
हमें
दिहलू
ऐ
माई
दर
दर
ठोकर
खाए
के
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