Lyrics Raat Kitni (From "Paltan") - Anu Malik , Sonu Nigam
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
मिलने
आये
है
हमसे
बीते
हुये
लम्हे
कल
के
कितने
पहचाने
चेहरे
तन्हाई
में
है
झलके
यूँ
तो
कोई
है
कहाँ
कोई
कहाँ
यादें
लेके
आई
है
सबको
यहाँ
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
एक
माथे
पर
दमकती
एक
बिन्दी
एक
आँचल
जाने
क्यूँ
लहरा
रहा
है
घर
के
दरवाजे
पे
सुन्दर
सी
रंगोली
फिर
कोई
त्योहार
मिलने
आ
रहा
है
नन्हें-नन्हें
पाओं
से
चलता
है
कोई
उँगलियों
से
जप
रहा
है
कोई
माला
एक
थाली
इक
कलाई
एक
राखी
एक
मंदिर
एक
दीपक
इक
उजाला
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
दोस्ती
का
हाथ
है
कंधे
पे
रखा
प्यार
से
दो
आँखें
छलकी
जा
रही
हैं
धूप
की
हैं
धज्जियाँ
बाग़ों
में
बिखरी
पेड़ों
में
छुपके
हवाएँ
गा
रहीं
हैं
लम्बी
सासें
लेते
हैं
सावन
के
झूले
घाट
पर
पायी
प्यासी
गगरिया
हैं
नदियाँ
किनारे
हैं
बनसी
का
लहरा
एक
पगडंडी
पे
खनकी
चूड़ियाँ
हैं
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
मिलने
आए
हैं
हम
से
बीते
हुवे
लमहें
कल
के
कितने
पहचाने
चेहरे
तन्हाई
में
है
झलके
यूँ
तो
कोई
है
कहाँ
कोई
कहाँ
यादें
लेके
आयी
है
सबको
यहाँ
रात
कितनी
दास्तानें
कह
रही
है
इक
नदी
यादों
की
है
जो
बह
रही
है
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