Sunidhi Chauhan - Naseeba Lyrics

Lyrics Naseeba - Sunidhi Chauhan



जाने किस डगर है चला ये मन बावरा
नैनों में चुभे टूटा सा कोई ख़्वाब सा
झूठे दिलासे रे, हमको रुलाएँ रे
कैसी सज़ा है, या ख़ुदा?
क्या नसीबा चाहे? तू ही बता, हाय
क्यूँ जुदा हैं राहें? तू ही बता, हाय
झूठे दिलासे रे, हमको रुलाएँ रे
कैसी सज़ा है, या ख़ुदा?
क्या नसीबा चाहे? तू ही बता, हाय
क्यूँ जुदा हैं राहें? तू ही बता, हाय
(हे, नसीबा, हो)
ओ, जो अँधेरों में है डूबा ये पल
इसे कैसे रोशन करूँ?
जलूँ जैसे परवाने जलते हैं?
या शमा के जैसे जलूँ?
दोनों ही बातों में, जलना है रातों में
कैसी सज़ा है, या ख़ुदा?
क्या नसीबा चाहे? (नसीबा चाहे)
तू ही बता, हाय
क्यूँ जुदा हैं राहें? (जुदा हैं राहें)
तू ही बता, हाय
झूठे दिलासे रे, हमको रुलाएँ रे
कैसी सज़ा है, या ख़ुदा?
क्या नसीबा चाहे? तू ही बता, हाय
क्यूँ जुदा हैं राहें? तू ही बता, बता, हाय
(हे, नसीबा, हो, नसीबा)



Writer(s): Salim Merchant, Sulaiman Merchant, Irfan Siddiqui


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