Lyrics Parchhai - Edgar Oceransky , Tarang Nagi
कहने
को
तो
मैं
जी
रहा
हूँ
धड़कन
से
सांसें
ही
जुदा
है
मंज़िल
तक
पहुँचा
तो
ये
जाना
रस्ते
में
खुदको
खो
दिया
है
खुद
की
क्या
पहचान
दूँ
मैं
खुद
से
ही
अनजान
हूँ
मैं
मैं
जीता
हूँ
मगर
अब
ज़िंदा
ही
नहीं
जो
सोचा
वो
समझा
ही
नहीं
रूठे
ख्यालों
में
कैसी
तनहाई
है
ना
जानू
मैं
हूँ
या
मेरी
परछाई
है
रूठे
ख्यालों
में
कैसी
तनहाई
है
ना
जानू
मैं
हूँ
या
मेरी
परछाई
है
सूनी-सूनी
सी
रातों
में
खाली
पन
मुझको
खलता
है
सब
हैं
मगर
कुछ
भी
नहीं
तन्हा-तन्हा
से
इस
दिल
में
कोई
काँटा
क्यूँ
चुभता
है?
आँखों
में
हर
पल
है
नमी
खुद
की
क्या
पेहचान
दूँ
मैं
खुद
से
ही
अनजान
हूँ
मैं
मैं
जीता
हूँ
मगर
अब
ज़िंदा
ही
नहीं
जो
सोचा
वो
समझा
ही
नहीं
रूठे
ख्यालों
में
कैसी
तनहाई
है
ना
जानू
मैं
हूँ
या
मेरी
परछाई
है
रूठे
ख्यालों
में
कैसी
तनहाई
है
ना
जानू
मैं
हूँ
या
मेरी
परछाई
है
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