paroles de chanson Mitti Ke Ghar - Beybaar Prashant
बारिश
किसी
की
है
रोमानी
कोई
बादल
से
रूठे
रहते
हैं
उनको
क्यूँ
न
हो
सावन
बैरी
जिनके
घर
मिट्टी
के
होते
हैं
दिल
के
छाते
में
अरमान
ढके
हथेली
सर
पे
रक्खे
रहते
हैं
नहीं
उनकी
कोई
ख़्वाहिश
करारी
ख़्वाब
गीली
लकीरों
में
सोते
हैं
तिनका-तिनका
घास
जोड़कर
सूखा
घरोंदा
बुनते
रहते
हैं
वो
आटा
सीने
पे
बाँधके
चलते
जिनके
गीले
निवाले
होते
हैं
इक
टपटपाती
छत
के
नीचे
कुछ
गीले
बच्चे
सोते
हैं
झम-झम
में
भी
सूखा
जीवन
जिनके
घर
मिट्टी
के
होते
हैं
Attention! N'hésitez pas à laisser des commentaires.