Ghulam Ali - Main Khayal Hoon Kisi Aur Ka paroles de chanson

paroles de chanson Main Khayal Hoon Kisi Aur Ka - Ghulam Ali



मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है
सरे-आईना मेरा अक्स है, पसे-आईना कोई और है
मैं किसी की दस्ते-तलब में हूँ तो किसी की हर्फ़े-दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का, मुझे माँगता कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
अजब ऐतबार-ओ-बेऐतबारी के दरम्यान है ज़िन्दगी
मैं क़रीब हूँ किसी और के, मुझे जानता कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से मुख्तलिफ़ तो नहीं मगर
तू क़रीब तुझे देख लूँ, तू वही है या कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
तुझे दुश्मनों की खबर थी, मुझे दोस्तों का पता नहीं
तेरी दास्तां कोई और थी, मेरा वाक्या कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
वही मुंसिफ़ों की रवायतें, वहीं फैसलों की इबारतें
मेरा जुर्म तो कोई और था, पर मेरी सजा कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं, देखना उन्हें गौर से
जिन्हें रास्ते में खबर हुईं, कि ये रास्ता कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
जो मेरी रियाज़त-ए-नीम-शब को ′सलीम' सुबह मिल सकी
तो फिर इसके मानी तो ये हुए कि यहाँ खुदा कोई और है



Writer(s): Ghulam Ali


Ghulam Ali - Saugaat
Album Saugaat
date de sortie
24-07-2007




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