Kumar Sanu feat. Vinod Rathod - Sabji Kat Kat Ke paroles de chanson

paroles de chanson Sabji Kat Kat Ke - Kumar Sanu , Vinod Rathod




सब्ज़ी काट-काट के ये हाथ थक गए हैं
निकल भी नहीं सकते आज ऐसे फस गए हैं
रोटी सेकते हुए ये हाथ जल गए हैं
प्याज़ काट-काट के आँसू गए हैं
मगर वो, मगर वो कहाँ है?
जिसकी ख़ातिर आए हम सभी
कमर भी दिख जाए तो
मैं पहचान लूँगा अभी
हॉं, सब्ज़ी काट-काट के ये हाथ थक गए हैं
निकल भी नहीं सकते आज ऐसे फस गए हैं
रोटी सेकते हुए ये हाथ जल गए हैं
प्याज़ काट-काट के आँसू गए हैं
मगर वो, मगर वो कहाँ है?
जिसकी ख़ातिर आए हम सभी
कमर भी दिख जाए तो
मैं पहचान लूँगा अभी
ये गाजर का हलवा, ये लड्डू, ये पेढा
ये रबड़ी, कलाकंद, चमचम रसगुल्ला
ये बर्फ़ी, जलेबी, इमरती की लाली
मिठाई में केसर की ख़ुशबू है डाली
समोसा, कचौरी, ये sweet-sweet लस्सी
चारों ने मिलके देखो item बनाए ८०
ऐसी है इसकी ख़ुशबू जाए मुँह में पानी
देखा तो हाल ये है, खाया तो क्या हो, जानी
नहीं time किया waste, नहीं लिया कोई rest
ऐसा चखा नहीं taste, खाना बना बड़ा best
मगर वो, मगर वो कहाँ है?
जिसकी ख़ातिर आए हम सभी
कमर भी दिख जाए तो
मैं पहचान लूँगा अभी
गेहूँ से बना आटा, आटे से बनी रोटी
रोटी के संग सालन, सालन के संग बोटी
कुर्रम-कुर्रम पापड़, ये दाल, ये पराठा
ये बैगन का भरता, अचार खट्टा-खट्टा
बावर्ची असली आते तो वो भी ना बनाते
जो हमने है बनाया, जो हमने है सजाया
था काम थोड़ा मुश्किल, आसान कर दिखाया
कि हमने सारा खाना एक चुटकी में बनाया
नही time किया waste, नहीं लिया कोई rest
ऐसा चखा नही taste, खाना बना बड़ा best
मगर वो, मगर वो कहाँ है?
जिसकी ख़ातिर आए हम सभी
कमर भी दिख जाए तो
मैं पहचान लूँगा अभी
जिसकी ख़ातिर आए हम सभी
कमर भी दिख जाए तो
मैं पहचान लूँगा अभी



Writer(s): Milind Chitragupta Shrivastava, Dev Kohli, Anand Chitragupta Shrivastava


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