Prashant Beybaar - Be-aabru Zindagi paroles de chanson

paroles de chanson Be-aabru Zindagi - Prashant Beybaar




बड़ी बेआबरू सी है ये ज़िन्दगी,
कि जीने का सलीका भी नहीं जानती
रहती है ख़ुद किताबों में क़ैद और
हमें अपना एक सफ़हा तक नहीं मानती
अब कहाँ वो नीम के आग़ोश में
निबौरी से किस्से हुआ करते हैं
अब तो एक ही ज़िन्दगी के मानो
तमाम हिस्से हुआ करते हैं
किसी हिस्से में जीते हैं,
तो किसी में पल-पल मरते हैं
साँसों के कतरों की माला है
जो हर रोज़ हम पिरोते हैं
वो कहते हैं कि काफ़िर हूँ मैं
मुझे मज़हब नज़र नहीं आता
जाने कैसे इंसाँ हैं वो
जो उन्हें इंसाँ नज़र नहीं आता
वैसे, किफ़ायत का ज़माना है
सलीके से इश्क़ कीजे
जो दिल में कैद है सफ़ीना
उसे कैद ही रहने दीजे
बड़ी बे-आबरू सी है ये ज़िन्दगी
बड़ी बे-आबरू सी है ये ज़िन्दगी।



Writer(s): Prashant Beybaar


Prashant Beybaar - Dareecha-e-Zindagi
Album Dareecha-e-Zindagi
date de sortie
08-04-2022



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