paroles de chanson Maut - Prashant Beybaar
ज़िन्दगी
में
दौड़ते
भागते
बचते
रहे
मौत
से
अक्सर
ठहर
के
इक
पल
सोचा
न
कि,
ये
मौत
क्या
है!
जाती
साँसों
का
सिलसिला
है?
या
आज़ाद
रूहों
की
कड़ी
है?
हिज्र
है
ज़मीं
से
छूटते
जिस्म
का?
या
वस्ल
है
आसमानी
तिलिस्म
का?
ग़म
है
छूटते
ख़ुलूस
का?
या,
जश्न
है
माज़ी
बनते
जुलूस
का?
एक
ठहरे
वक़्फ़े
में
ख़ला
में
जज़्ब
होता
धुआँ
है?
या
कुंदन
बनी
रूह
की
जिला
है?
मौत
है
क्या?
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