Sunidhi Chauhan - Kai Sadiyon Pehli paroles de chanson

paroles de chanson Kai Sadiyon Pehli - Sunidhi Chauhan




कई सदियों पहली पुरानी बात है
कि जब से आसमाँ-ज़मीं का साथ है
और ये पागल हवा सनसनाती हुई
ढूँढती थी यहाँ, कहाँ मेरा प्यार है?
एक दिन ऊपर वाला राजा
सोच रहा था, "मैं कुछ बनाऊँ"
फिर उसने पर्वत बनाए
सोचा, "थोड़ी बर्फ़ बिछा दूँ"
बर्फ़ से जो पिघले, पिघल झरने झरे
कि झरनों से बही खिलखिलाती नदी
ये नदियों से बना जो सागर आज है
कई सदियों-सदियों पुरानी बात है
अब भी सोचे ऊपर वाला, "कैसे चलेगा ये संसार?
खड़ा रहेगा कौन ज़मीं पे? कौन बनेगा पालनहार?"
फिर धरती का किया शृंगार, पेड़ बनाए सुंदर पहरेदार
देख के ये शृंगार हो गया उसको प्यार
बना डाले जंगल, जंगल ही जंगल, यार
फिर तो लगने लगे फल, फल पे पकने लगे फल
ये नदियों की रवानी, पिएगा कौन पानी?
कोई तो रूह हो, कोई हो ज़िंदगानी
कि अब बच्चा कोई कहीं तो मुस्कुराए
उसकी तस्वीर जैसे पूरी होने लगी
मगर उसकी तमन्ना अधूरी ही रही
वो जादू से भरे जो बीज उसके पास थे
उसने फैला दिए ज़मीं पे, जो उनमें ख़ास थे
वो ऐसे पेड़ हैं जिनमें भगवान हैं
जो देते प्यार हैं, जो लेते प्यार हैं
उन्हें बच्चा कोई जो जा के गले लगाए
जो सपना देखे वो, वो सपना सच हो जाए



Writer(s): Sandesh Shandilya, Anil Pandey



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