Текст песни Mann Ki Dori - Armaan Malik
जिस
पल
से
देखा
है
तुझ
को,
मन
ये
पगल
गया
रे
पीछे-पीछे
देखो
तेरे
हद
से
निकल
गया
रे
हो,
जिस
पल
से
देखा
है
तुझ
को,
मन
ये
पगल
गया
रे
पीछे-पीछे
देखो
तेरे
हद
से
निकल
गया
रे
तू
जहाँ
वहाँ
लेके
जाए
ये
राहें
मोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी,
कि
तुझ
संग
बाँधी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
रे-रे-रे,
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
हो,
दाँतों
से
काटे,
हाथों
से
खींचे
डोर
ये
तेरी-मेरी
तोड़े
ना
टूटे
हो,
धूप
के
दिन
हों
या
सर्दी
की
रातें
डोर
ये
तेरी-मेरी
छोड़े
ना
छूटे
तू
जहाँ
वहाँ
लेके
जाए
ये
राहें
मोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी,
कि
तुझ
संग
बाँधी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
रे-रे-रे,
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
कि
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
रे-रे-रे,
तुझ
संग
बाँधी
ये
मन
की
डोरी
1 Bharat Ki Beti
2 Asmaan Di Pari
3 Dori Tutt Gaiyaan
4 Dhoom Dhadaka
5 Rekha O Rekha
6 Mann Ki Dori
7 Mann Ki Dori - Female Version
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