Amaal Mallik - Mann Ki Dori текст песни

Текст песни Mann Ki Dori - Armaan Malik




जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे
हो, जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे
तू जहाँ वहाँ लेके जाए ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
हो, दाँतों से काटे, हाथों से खींचे
डोर ये तेरी-मेरी तोड़े ना टूटे
हो, धूप के दिन हों या सर्दी की रातें
डोर ये तेरी-मेरी छोड़े ना छूटे
तू जहाँ वहाँ लेके जाए ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी



Авторы: Amit Trivedi, Kausar Munir


Внимание! Не стесняйтесь оставлять отзывы.
//}