Palak Muchhal - Mann Ki Dori - Female Version текст песни

Текст песни Mann Ki Dori - Female Version - Palak Muchhal




जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे
हाँ-हाँ, जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे
तू जहाँ वहाँ ले के जाएँ ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी रे मन की डोरी
हो, दाँतों से काटे, हाथों से खींचे
डोर ये तेरी-मेरी तोड़े ना टूटे
हो, धूप के दिन हों या सरदी की रातें
डोर ये तेरी-मेरी छोड़े ना छूटे
तू जहाँ वहाँ ले के जाएँ ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी रे मन की डोरी



Авторы: Amit Trivedi, Kausar Munir



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