Текст песни Dayar-E-Dil Ki Raat Mein - Farida Khanum
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ,
वो
शक्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ,
वो
शक्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
वो
दोस्ती
तो
खैर
अब
नसीब-ए-दुश्मना
हुई
वो
दोस्ती
तो
खैर
अब
नसीब-ए-दुश्मना
हुई
वो
छोटी-छोटी
जंजिशों
का
लुत्फ़
भी
चला
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ,
वो
शक्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
जुदाइयों
के
ज़ख्म
दर्द
ज़िंदगी
ने
भर
दिए
जुदाइयों
के
ज़ख्म
दर्द
ज़िंदगी
ने
भर
दिए
उसे
भी
नींद
आ
गयी,
मुझे
भी
सब्र
आ
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ,
वो
शक्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चराग़
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ,
वो
शक्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
मेंदियार-ए-दिल
की
रात
में
चिराग
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ
वो
शक़्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
जुदाइयों
के
ज़ख्म
दर्द
ज़िंदगी
ने
खल
दिए
उसे
भी
नींद
आ
गई
मुझे
भी
सब्र
आ
गया
उसे
भी
नींद
आ
गई
मुझे
भी
सब्र
आ
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चिराग
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ
वो
शक़्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
ये
सुबह
की
सफ़ेदियाँ
ये
दोपहर
की
ज़ल्दियाँ
मैं
आईने
में
ढूँढ़ता
हूँ
मैं
कहाँ
चला
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
चिराग
सा
जला
गया
मिला
नहीं
तो
क्या
हुआ
वो
शक़्ल
तो
दिखा
गया
दियार-ए-दिल
की
रात
में
दियार-ए-दिल
की
रात
में
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